इस लेख में हमने नैतिक शिक्षा के साथ कुछ 22+ Best Hindi Story with Moral for Class 1 का संग्रह किया है। यह सारी नैतिक कहानियाँ आप अपने बच्चों को पढ़कर सुना सकते हैं। प्रत्येक कहानियों से बच्चों को कुछ ना कुछ नैतिक शिक्षा मिलेगी, जो लोग और दुनिया को समझने में मदद करेगी।
एक समय ऐसा भी था, जब कहानी की पुस्तकें, बच्चों के लिए केवल मनोरंजन के साधन हुआ करते थे। हालाँकि, अब समय बदल गया है। इंटरनेट के इस युग में बच्चे अपना अधिकांश समय स्मार्टफोन पर गेम खेलकर ही बिताते हैं। लेकिन, अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने बचपन का अनुभव करें। तो आप उन्हें Best Hindi Story with Moral for Class 1 का संग्रह पढ़ा सकते है, जो बहुत ही रोचक और शिक्षावर्धक है|
Table of Contents
गले का पट्टा – Hindi Story with Moral for Class 1
एक मोटे ताजे हट्टे-कट्टे पालतू कुत्ते के साथ एकबार दुबले-पतले शरीर वाले बाघ की मुलाकात हो गई| बातचीत के दौरान बाघ ने कहा, “एक बात पूछना चाहता हूँ भाई! तुम्हें बताना ही बढ़ेगा, कैसे और क्या खाकर तुम इतने ताकतवर और हट्टे-कट्टे बन गए हो? तुम क्या खाते हो और किस तरह रोज़ की खुराक जुटापाते हो? मैं तो दिन रात खाना जुटाने की कोशिश कर करके हार सा जाता हूं, फिर भी भर पेट भोजन नहीं जुटता? किसी किसी दिन तो भूखे पे ही रह जाना पड़ता है| खाना ना मिलने से ही, मैं इतना कमज़ोर हो गया हूं|”
कुत्ते ने कहा, “जो मैं करता हूँ, वह अगर तुम भी कर सको, तो मेरे जैसे ही खुराक तुम्हें भी मिल सकती है|”
बाघ में अचरज से पुछा, “सच कह रहे हो! तो ठीक है भाई, पर बताओ तो सही तुम्हें इतने अच्छे खाने के लिए कौन कौन से काम करने पड़ते हैं|”
उस पालतू कुत्ते ने कहा,” करना क्या है? कुछ भी तो नहीं, सिर्फ रात-भर मालिक के घर की देख-रेख करनी पड़ती है|”
बाघ ने कहा, “बस इतना ही! यह काम तो मैं भी कर सकता हूं| भोजन जुटाने के लिए मैं जंगल-जंगल भटकता रहता हूं| सर्दी, गर्मी और बरसात में कष्ट पाता हूं| पर भाई! अब यह कष्ट नहीं सह जाता| अगर धूप, बारिश और सर्दी में एक छत मिल जाए और भूख के समय भर पेट खाना| तो फिर जीवन में और क्या चाहिए?”
बाघ के दुख की बात सुनकर कुत्ते ने कहा,”मेरे साथ आओ! मैं अपने मालिक से कहकर तुम्हारा भी इंतज़ाम करवा दूंगा|”
यह सुनकर बाघ कुत्ते के पीछे-पीछे चल दिया| चलते-चलते बाघ की नज़र एकाएक कुत्ते की गर्दन पर पड़ी, उसने यूँही पुछा,”भाई! तुम्हारी गर्दन पर यह निशान कैसा है?
कुत्ते ने कहा,”कुछ भी तो नहीं|” बाघ ने ज़िद की,”नहीं भाई! यह तो तुम्हें बताना ही होगा कि तुम्हारी गर्दन के रोवें कैसे उड़ गए? यह निशान आखिर बना कैसे?”
कुत्ते ने फिर कहा,”कुछ भी तो नहीं! लगता है तुम पट्टा बांधने की वजह से गर्दन पर पड़े दाग के बारे में पूछ रहे हो?”
बाघ ने पुछा, “पट्टा! यह कौन सी चीज़ है?” कुत्ते ने कहा, “उसी गले के पट्टे वाली जंजीर से तो दिन में मुझे बांधकर रखा जाता है|”
यह सुनते ही बाघ चौंक उठा, उसने पुछा, “तुम्हारा मालिक तुमको जंजीर से बांधकर रखता है! भला क्यों? फिर तो तुम अपनी मर्ज़ी से कहीं आ जा भी नहीं सकते?”
कुत्ता बोला, “नहीं, ऐसी बात तो नहीं है, दिन में मैं अवश्य बंधा हुआ रहता हूं| पर रात मुझे खुला छोड़ा जाता है, तो मेरी मर्ज़ी मैं कहीं भी जाऊँ और फिर मालिक के नौकर चाकर भी मुझे बहुत प्यार करते हैं| मेरी देखभाल करते हैं| मुझे अच्छे से अच्छा खाना देते हैं| मालिक भी प्यार से कभी कभी थप-थपा देते हैं| स्वयं ही देख लो मैं कितना सुखी और कितना आनंद में हूं|”
यह सब सुनकर बाघ में कहा, “अरे भाई! अपना सुख अपने पास ही रहने दो| मुझे इस तरह का सुख नहीं चाहिए| इस तरह दूसरे के अधीन रहकर राजभोग, राजसुख से कहीं अधिक बेहतर है, खाना ना खाना| खाना ना जुटा पाने का कष्ट तो इस कष्ट से सौ गुना अच्छा है| बुरा मत मानना मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकता|” इतना कहकर बाघ मुंह घुमा कर जंगल की तरफ वापस चल दिया|
नैतिक शिक्षा : किसी और की उदारता और सुख पर निर्भर रहने की तुलना में, संघर्ष करना और कड़ी मेहनत करना बेहतर है|
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बुरी संगत – Moral Stories in Hindi for Class 1
एक बूढ़ा आदमी था| उसके चार बेटे थे| चारों बुरी संगत के लोगों के साथ रहते थे| वे इतने बुरे हो गए थे, कि वे जुआरी बन गए थे|
पिता ने उन्हें बहुत समझाया, “बेटा ऐसे लोगों की संगत बहुत खराब होती है|” लेकिन बेटे माने नहीं|
एक दिन बूढ़े आदमी ने आम की एक पेटी खरीदी और बच्चों से कहा, “वे इसे अगले दिन खाएं| बूढ़े आदमी ने उन अच्छे आमों में एक सड़ा हुआ आम रख दिया|
अगली सुबह जब बेटे आम खाने के लिए पहुंचे तो बेटों ने देखाकि ज़्यादातर आम तो सड़ चुके थे| तभी पिता ने उन्हें बताया कि एक सड़े आम की वजह से सारे आम खराब हो गए हैं| इस बात से बेटों ने एक सबक सीखा और उन्होंने सारे बुरे दोस्तों को छोड़ दिया और अच्छी संगत में रहने लगे|
नैतिक शिक्षा : एक सड़ा हुआ आम अन्य सभी आमों को खराब कर सकता है।
मेहनती चीटा और आलसी चूहा – Hindi Story with Moral for Class 1 Video
प्यासा कौआ – Hindi Story for Class 1
दोपहर में काफी गर्मी थी और एक प्यासा कौवा आसमान में उड़ रहा था| वो अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी ढूँढ रहा था और सोच रहा था, “मेरा गला काफी सूख गया है, बहुत तेज़ प्यास लगी है|”
लेकिन काफी ढूंढने पर भी उसे पानी नहीं मिला| गर्मी से सारा पानी सूख गया था और पानी एक भी बूंद कहीं दिखाई नहीं रही थी|
आखिरकार कौवे को एक पेड़ के निचे एक घड़ा दिख गया| वो उसके पास गया, यह देखकर खुश हो गया कि उस घड़े की तले में थोड़ा पानी बचा था| मगर अब भी पानी उसकी पहुँच से बहुत दूर था| वह दुखी हो गया कि इतनी मेहनत से उसे पानी मिला और वो उसे पी भी नहीं पा रहा, क्योंकि घड़े के तले तक उसकी चोंच जा ही नहीं पा रही|
लेकिन उसमें हार नहीं मानी और उसने थाना कि वो इस पानी को पीकर कर रहेगा| उसने आसपास देखा कि वह इस समस्या को कैसे हल कर सकता है| तभी उसने देखा कि घड़े के आसपास काफी सारे पत्थर पड़े हुए हैं|
उसके दिमाग में एक कमाल का आईडिया आया| उसने जल्दी से पत्थर इकट्ठे करने शुरू कर दिए और उन्हें एक-एक करके घड़े में डालना शुरू कर दिया| जल्दी ही पत्थर निचे जाने लगे और ऊपर आना शुरू हो गया| कौवा पानी में पत्थर डालता रहा और जल्द ही पानी घड़े के बिलकुल ऊपर तक आ गया|
कौवे ने जी भरकर पानी पीया और अपनी प्यास बुझा ली| कौआ पानी पीकर काफी खुश हो गया और ये सीख दे गया कि कोशिश करने वालों की हार कभी नहीं होती|
नैतिक शिक्षा : कोशिश करने वालों की हार कभी नहीं होती|
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बंदर और टोपीवाला – Short Hindi Story for Class 1
एक बार एक टोपियों का व्यापारी, अपनी टोपियां बेचने के लिए दूर किसी शहर की ओर जा रहा था| चलते चलते दोपहर हो गई| वह थक गया था| एक बड़े पेड़ के नीचे उसने अपनी टोपियों की टोकरी अपने कंधे से उतारी, अपने खाने का डिब्बा खोला और भोजन करने लगा|
जल्दी तो कोई थी नहीं, उसने सोचा! क्यों न कुछ देर अाराम कर लिया जाए| वह वहीं लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद ने उसे घेर लिया|
उसे क्या पता था कि वह एक ऐसे पेड़ के नीचे सोया हुआ है, जिसमें ढेरों बंदरों ने अपना ठिकाना बनाया हुआ था|
बन्दरों ने जब टोकरी में पड़ी हुई रंग बिरंगी टोपियां देखी, तो उन्होंने टोपियों से खेलने का मन बना लिया| वे एक-एक करके सभी नीचे आ गए और सभी ने एक एक टोपी उठा ली और जल्दी ही सभी पेड़ पर चढ़ गए|
टोपी वाले की जब आंख खुली और जैसे ही उसकी नजर खाली टोकरी पर पड़ी, उसके पैरों तले से जमीन निकल गई| वह परेशान हो उठा कि उसकी सारी टोपियां कोई चोरी करके ले गया था|
वह चिल्लाया, “हाय-हाय मैं लुट गया , बरबाद हो गया! कौन ले गया मेरी टोपियों को? अब मेरा क्या होगा?”
परंतु जैसे ही उसकी नज़र ज़रा ऊपर पेड़ की ओर उठी तो हैरान रह गया, उसकी सारी टोपियां तो बंदरों ने पहन रखीं थीं| उसने गुस्से से हाथों को ऊपर किया, ताकि डर कर बंदर उसकी टोपियां नीचे फेंक दें| परंतु ऐसा कुछ न हुआ, अपितु बंदर भी उसकी नकल कर उसे चिढ़ा रहे थे|
इससे उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी, पहले उसने अपने हाथों को हिलाया| उसी तरह बंदर भी अपने हाथ हिलाने लगे| फिर वो ऊपर नीचे कूदने लगा| बंदर तो नकलची होते ही हैं, बंदर भी ऊपर नीचे कूदने लगे| फिर उसने अपनी टोपी अपने सिर से उतारी और जोर से उसे जमीन पर फेंक दिया|
फिर क्या था, सभी बंदरों ने उसकी नकल की और अपनी-अपनी टोपी को उन्होंने भी जमीन पर पटक दिया|
टोपी वाले ने अपनी सारी टोपियां इकट्ठी कीं और वापिस अपनी टोकरी में डाल लीं और फिर अपने रास्ते हो लिया|
नैतिक शिक्षा : संकट आने पर ठंडे दिमाग से सोचो और समस्या को सुलझाओ|
लालची कुत्ता – Hindi Story for Class 1 with Moral
एक गाँव में एक कुत्ता रहता था| वह हमेशा कुछ ना कुछ खाने की फ़िराक में ही रहता था, क्योंकि वह बहुत लालची था| वह भोजन की तलाश में हमेशा यहाँ-वहां भटकता रहता था| उसका पेट कभी नहीं भरता था|
एक दिन की बात है, वो हमेशा की तरह खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था| लेकिन, उसे कहीं भी भोजन नहीं मिला| अंत में उसे एक होटल के बाहर एक मांस का टुकड़ा दिखाई दिया| उसने झट से उस टुकड़े को मुंह में पकड़ लिया और सोचा कि कहीं एकांत में जाकर मज़े से इसे खाया जाए|
वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था इसीलिए मांस का टुकड़ा लेकर वह वहाँ से जल्दी से जल्दी भाग गया| एकांत जगह की खोज करते करते वह एक नदी के पास पहुँचा| नदी के किनारे जाकर उसने नदी में झाँका, तो अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी| वह समझ नहीं पाया कि यह उसी की परछाई है| उसे लगा कि पानी में कोई दूसरा कुत्ता है, जिसके मुंह में भी मांस का टुकड़ा है|
उस लालची कुत्ते ने सोचा, “क्यों ना इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए| अगर इसका मांस का टुकड़ा भी मिल जाए तो खाने का मज़ा दुगना हो जाएगा|”
वह उस परछाई पर ज़ोर से भोंका| भोकने से उसके मुँह में दबा मांस का टुकड़ा नदी में गिर पड़ा| अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा बैठा| उसे तब जाकर समझ में आया कि जिसे वह दूसरा कुत्ता समझ रहा था, वो तो उसकी खुद की परछाई हैं|
उसने ज़्यादा के लालच में जो था वो भी खो दिया| वह बहुत पछताया और मुँह लटका कर वापस गांव में आ गया|
नैतिक शिक्षा : लालच बुरी बला है, लालच नहीं करनी चाहिए, दूसरों की चीजें छीनने का फल बुरा ही होता है।
शेर और चूहा – Best Hindi Story with Moral for Class 1
जंगल का राजा, शेर एक बार पेड़ के नीचे सो रहा था| एक छोटा चूहा उस पर ऊपर-नीचे दौड़ने लगा। इसने जल्द ही शेर को जगा दिया, जिसने अपना विशाल पंजा चूहे पर रख दिया और उसे निगलने के लिए अपने बड़े जबड़े खोल दिए।
“क्षमा करें, हे राजा!” छोटा चूहा चिल्लाया। “इस बार मुझे माफ कर दो। मैं इसे कभी नहीं दोहराऊंगा और मैं आपकी दयालुता को कभी नहीं भूलूंगा। और कौन जानता है, मैं इन दिनों किसी मोड़ पर आपका काम आ जाऊँ|”
शेर को इस विचार से इतना गुदगुदी हुई कि चूहा उसकी मदद कर सकता है कि उसने अपना पंजा उठा लिया और उसे जाने दिया।
कुछ समय बाद, कुछ शिकारियों ने शेर को पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से बांध दिया। उसके बाद वे उसे चिड़ियाघर ले जाने के लिए एक वैगन की तलाश में गए।
तभी छोटा चूहा वहाँ से गुजरा। शेर की दुर्दशा देखकर, वह उसके पास दौड़ा और शेर को बांधने वाली रस्सियों को काट दिया।
“क्या मैं सही नहीं था?” छोटे चूहे ने कहा, शेर की मदद करके बहुत खुशी हुई।
नैतिक शिक्षा : दयालुता से की गई छोटे कार्यों को भी बहुत पुरस्कृत किया जाता है|
चालाक बंदर – Short Hindi Story with Moral for Class 1 Video
बगीचे में अजनबी – Short Hindi Story with Moral for Class 1
एक बार की बात है, एक आदमी था, जिसके पास एक बड़ा बगीचा था। उसने कई फलों के पेड़ लगाए थे और जब तक वे फल नहीं देते, तब तक उनकी देखभाल करता था। अब वह अपने परिवार के लिए पैसे कमाने के लिए फलों की कटाई करना चाहता था और उन्हें बेचना चाहता था।
एक दिन अपने बेटे के साथ फल तोड़ते समय उस आदमी ने देखा कि एक अजनबी पेड़ की डाली पर बैठा है और फल तोड़ रहा है। वह आदमी क्रोधित हो गया और चिल्लाया, “अरे तुम! तुम मेरे पेड़ पर क्या कर रहे हो? क्या तुम्हें चोरी करने में शर्म नहीं आती?”
शाखा पर बैठे अजनबी ने माली की ओर देखा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया और फल चुनना जारी रखा। माली बहुत क्रोधित हुआ और फिर चिल्लाया, “पूरे एक साल से मैंने इन पेड़ों की देखभाल की है। आपको मेरी अनुमति के बिना फल लेने का कोई अधिकार नहीं है। तुम एक बार नीचे आ जाओ!”
पेड़ पर बैठे अजनबी ने उत्तर दिया, “मैं नीचे क्यों आऊं? यह ईश्वर का बगीचा है और मैं ईश्वर का सेवक हूं, इसलिए मुझे इन फलों को लेने का अधिकार है। आपको भगवान और उसके सेवक के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”
माली इस जवाब पर बहुत हैरान हुआ और उसने एक योजना के बारे में सोचा। उसने अजनबी को पेड़ से नीचे आने को कहा। जैसे ही अजनबी पेड़ से नीचे उतरा, माली ने उसे पेड़ से बांध दिया और डंडे से पीटना शुरू कर दिया। अजनबी चिल्लाने लगा, “तुम मुझे क्यों मार रहे हो? तुम्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।”
माली ने ध्यान नहीं दिया और उसे पीटना जारी रखा। अजनबी चिल्लाया, “क्या तुम भगवान से नहीं डरते? तुम एक निर्दोष आदमी को मार रहे हो। माली ने उत्तर दिया, “मैं क्यों डरूं? मेरे हाथ में यह लकड़ी भगवान की है और मैं भगवान का सेवक हूं। तुम्हें परमेश्वर और उसके सेवक के काम में दखल नहीं देना चाहिए।”
अजनबी हिचकिचाया और फिर बोला, “रुको। मुझे मत मारो, मुझे फल लेने के लिए खेद है। यह तुम्हारा बगीचा है और मुझे फल लेने से पहले आपकी अनुमति लेनी चाहिए थी। इसलिए, कृपया मुझे क्षमा करें और मुझे मुक्त करें।” माली मुस्कुराया और कहा, “भगवान के नाम का प्रयोग अपने गलत कार्यों को सही ठहराने के लिए मत करो।”
तब माली ने उसे खोल दिया और उसे जाने दिया।
मूर्ख बंदर – Hindi Story for Class 1
वह एक ठंडी और खामोश रात थी। मौसम कड़ाके की ठंड का था। एक पेड़ पर बंदरों का झुंड बैठा था। वे उसकी डालियों से चिपके हुए थे। बंदरों में से एक ने कहा, “काश हमें कुछ आग मिल जाती। यह हमें गर्म रखने में मदद करेगी।”
अचानक उन्होंने जुगनू के झुंड को देखा। बंदरों में से एक ने सोचा कि यह आग है। उसने एक जुगनू पकड़ा। उसने उसे एक सूखे पत्ते के नीचे रख दिया और फूंक मारने लगा। उसके प्रयास में कुछ और बंदर भी शामिल हो गए।
इस बीच, एक गौरैया उड़कर अपने घोंसले की ओर आ गई जो उसी पेड़ पर था जिस पर बंदर बैठे थे। उसने देखा कि वे क्या कर रहे थे। गौरैया हँस पड़ी। उसने कहा, “अरे मूर्ख बंदर, वह एक जुगनू है, असली आग नहीं। मुझे लगता है कि आप सभी को एक गुफा में शरण लेनी चाहिए।”
बंदरों ने गौरैया की एक न सुनी। वे बेचारे जुगनू पर फूंक मारते रहे।
कुछ देर बाद बंदर बहुत थक गए। अब उन्हें एहसास हुआ कि गौरैया ने जो कहा था वह सही था। उन्होंने जुगनू को मुक्त किया और पास की एक गुफा में चले गए।
यह भी पढ़ें : 1. Best Hindi Stories with Moral for Class 2 2. Best Hindi Stories with Moral for Class 3
तो दोस्तों, आपको ये ‘Best Hindi Story with Moral for Class 1‘ कैसी लगी? हम आशा करते हैं, कि आपको Best Hindi Story with Moral for Class 1 पढ़कर जरूर अच्छी लगी होगी| कृपया करके इन कहानियाँ को आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें।