10+ Best Hindi Stories with Moral for Class 2

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इस लेख में हमने नैतिक शिक्षा के साथ कुछ 10+ Best Hindi Stories with Moral for Class 2 का संग्रह किया है। यह सारी नैतिक कहानियाँ आप अपने बच्चों को पढ़कर सुना सकते हैं। प्रत्येक कहानियों से बच्चों को कुछ ना कुछ नैतिक शिक्षा मिलेगी, जो लोग और दुनिया को समझने में मदद करेगी।

Hindi Stories with Moral for Class 2

एक समय ऐसा भी था, जब कहानी की पुस्तकें, बच्चों के लिए केवल मनोरंजन के साधन हुआ करते थे। हालाँकि, अब समय बदल गया है। इंटरनेट के इस युग में बच्चे अपना अधिकांश समय स्मार्टफोन पर गेम खेलकर ही बिताते हैं। लेकिन, अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने बचपन का अनुभव करें। तो आप उन्हें Best Hindi Stories with Moral for Class 2 का संग्रह पढ़ा सकते है, जो बहुत ही रोचक और शिक्षावर्धक है|

चोर और छड़ी – Hindi Stories with Moral for Class 2

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एक बार एक राज्य इस किसान रहता था| वह बहुत मेहनती था| उसके पास अन्य किसानो की तरह खेत तो न थे बस बस ले-देकर एक छोटा सा खेत था| पर वह हर साल उस खेत में मक्के की खेती करता था, जो कि केवल उसके परिवार के भरण-पोषण के काम ही आ पाती थी|

एक बार की बात है, बरसात का महीना था और मक्के की फसल पककर तैयार थी| इस बार फ़सल सालों की अपेक्षा बढ़िया हुई थी| बढ़िया फ़सल देखकर किसान की खुशी का ठिकाना ना रहा| वह मनमन फ़सल को अगले दिन काटने की योजना बनाकर घर लौट आया|

अगले दिन जब किसान फ़सल काटने के लिए खेत पर पहुंचा, तो वह भौंचक्का रह गया| उसका खेत खाली पड़ा था| उसकी सारी फ़सल रातों चोरी हो गई थी| किसान भारी मन से घर लौट आया|

अगले दिन लाचार होकर वह किसान राज दरबार में पहुंचा| वहां उसने राजा को अपनी वय्था सुनाई और चोर को पकड़ने की प्रार्थना की| राजा ने शांति से किसान की वय्था पर विचार किया और फिर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे राज्य के सभी किसान को पकड़कर दरबार में लाए|

जब सभी किसान दरबार में उपस्थित हो गए, तो राजा ने उन्हें चोरी के विषय में बताने के बाद कहा, “मैं आप सभी को एक ही नाप की लकड़ी की छड़ी दूंगा जिसको आप सभी अपने साथ अपने घर ले जाएंगे| यदि आप में से किसी के घर में फ़सल का चोर होगा तो उसकी छड़ी अपने आप दो अंगुल बढ़ जाएगी|” इसके बाद राजा ने सभी किसानों को अपने घर लौटा जाने का आदेश दिया|

उनमें से जो कि किसान चोर था, उसे चिंता सताने लगी| उसने मन ही मन सोचा कल तो यह जादुई छड़ी दो अंगुल बढ़ जाएगी| फिर छड़ी नापने के बाद यह सिद्ध हो जाएगा कि मैंने ही फसल चुराई है| यदि मैं इसे दो अंगुल काट दूं, तो कल दरबार में इस छड़ी का नाप बाकी छड़ियों के बराबर ही होगा और फिर मैं पकड़ा जाऊंगा| ऐसा सोचकर उसने छड़ी को दो अंगुल छोटा कर दिया|

अगले दिन सभी किसान राज दरबार में एकत्रित हुए| उन सभी के छड़ियों को नापा गया तो एक छड़ी और छड़ियों की तुलना में दो अंगुल छोटी पाई| राजा समझ गया कि चोर कौन है, राजा चोर को उसकी सजा सुनाई और उसे आदेश दिया की वह चोरी की सारी फ़सल लौटा दें| राजा के न्याय की सभी ने प्रशंसा की|

नैतिक शिक्षा : चोर की दाढ़ी में तिनका| चोरी अगर हम कितना भी करले लें, चोरी कभी छिपती नहीं है असलियत सामने आ ही जाता है और सच्चाई की हमेशा जीत होती है|

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दुष्ट भेड़िया – Hindi Stories for Class 2nd

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एक जंगल में एक भेड़िया रहता था| वो बहुत दुष्ट था| जंगल के जानवर उसकी दुष्टता के बारे में जानते थे, इसलिए उससे सावधान रहते थे| इस कारण उसका शिकार करना मुश्किल हो गया था| इसलिए उसने जंगल से बाहर जाकर शिकार करने का सोचा|

वह रोज़ देखता कि भेड़ों का झुंड रोज़ एक मैदान में आता और शाम होने पर लौट जाता है| एक दिन भेड़िया भेड़ों से कुछ दूरपर घास चलने लगा| बहनों रुको! मैं तुम लोगों को खाने नहीं आया हूं| मैंने माँस खाना छोड़ दिया है| अब मैं शाकाहारी हो गया हूं इसलिए मैंने जंगल भी छोड़ दिया और सोचा कि तुम लोगों के साथ ही रहूं| हां! हम तुम पर भरोसा कैसे कर लें, तुम तो हमारे जन्मजात शत्रु रहे हो|

देखो तुम्हें विश्वास ना हो तो देख सकती हो कि काफी देर से मैं घास चल रहा हूं|

हां मैंने इसे घास खाते हुए देखा है लेकिन तुमने घास खाने क्यों शुरू कर दी|

एक दिन मुझे एक साधु महाराज मिले, उन्होंने मुझे इस बात के लिए बहुत लताड़ा कि मैं जीव हत्या करता हूं| उनके दिए ज्ञान और उपदेश से मैंने जीव हत्या बंद कर दी|

तो इसका मतलब तुम बहुत अच्छे हो गए हो| तब भी हम तुम पर विश्वास नहीं कर सकते| तुम हमसे पचास कदम दूरी पर रह सकते हो|

ठीक है! भेड़िया मौका खोना नहीं चाहता था| उस दिन से वो भेड़ के साथ पचास कदम की दूरी पर रहता| न तो उन्हें हानि पहुंचाता और ना ही उनके पास किसी जंगली जानवरों को आने देता| अब वो उनकी रक्षा करने लगा था| यह देखकर भेड़ के साथ-साथ चरवाहे को भी भेड़िया पर विश्वास हो चला| भेड़ उसे अपना मित्र मानने लगे|

एक दिन चरवाहे को अपने ससुराल जाना था| उसने भेड़िए को बुलाया, “देखो मैं कुछ दिनों के लिए ससुराल जा रहा हूं| हफ्ते, दो हफ्ते बाद वापस लौट आऊंगा| तब तक तुम मेरे भीड़ की रक्षा करना| भेड़ों ने भी भेड़िये को अपने रक्षक के रूप में स्वीकार कर लिया|

चरवाहा निश्चित होकर ससुराल चला गया| भेड़िया को मौका मिल गया, वो रोज़ रात को दो-तीन भेड़ें मारकर खा जाता| अपनी संख्या को देख वे चिंतित रहते लेकिन उन्हें भेड़िए पर पूरा विश्वाश था| भेड़िया सारी भेड़ों को खाकर जंगल की ओर चला गया|

कुछ हफ्तों बाद जब चरवाहा घर लौटा और उसने जगह-जगह भेड़ की हड्डियां देखी तो उसे सारा माजरा समझ में आ गया| उसने अपना सर पीट लिया, “अरे! यह मैंने क्या किया, एक दुष्ट पर विश्वास कर लिया, मेरी समझ में यह बात क्यों नहीं आई कि दुष्ट अपनी दुस्टता कभी नहीं छोड़ता”|

नैतिक शिक्षा : दुष्ट पर विश्वास कभी नहीं करना चाहिए, क्यूंकि दुष्ट अपनी दुस्टता कभी नहीं छोड़ता|

दुष्टता का फल – Short Stories in Hindi with Moral for Class 2nd

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कंचनपुर के एक धनी व्यापारी के घर में रसोई में कबूतर ने घोंसला बना रखा था| किसी दिन एक लालची कौवा जो है वह उधर से आ निकला| वह मछली को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया| तब उसके मन में विचार आया कि मुझे इस रसोई घर में घुसना चाहिए| लेकिन कैसे घुसू? यह सोच कर वो परेशान था| तभी उसकी नजर वह कबूतरों के घोसलों पर पड़ी|

उसने सोचा कि मैं अगर कबूतर से दोस्ती कर लूं, तो शायद मेरी बात बन जाए| कबूतर जब दाना चुगने के लिए बाहर निकलता है, तो कौवा उसके साथ-साथ निकलता है| थोड़ी देर बाद कबूतर ने पीछे मुड़कर देखता तो देखा कि कौवा उसके पीछे है| इस पर कबूतर ने कौवे से कहा, “भाई तुम मेरे पीछे क्यों हो”|

इस पर कौवे ने कबूतर से कहा, “तुम मुझे अच्छे लगते हो, इसलिए मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं”|

इस पर कौवे से कबूतर ने कहा, “हम कैसे दोस्त बन सकते हैं? हमारा और तुम्हारा भोजन भी तो अलग-अलग है| मैं बीच खाता हूं और तुम कीड़े”|

इस पर कौवे ने चापलूसी दिखाते हुए कहा, “कौन सी बड़ी बात है! मेरे पास घर नहीं है, इसलिए हम साथ-साथ तो रह ही सकते हैं| है ना! और साथ ही भोजन खोजने आया करेंगे| तुम अपना और मैं अपना”|

इस बार घर के मालिक ने देखा कि कबूतर के साथ एक कौवा भी है, तो उसने सोचा कि चलो कबूतर का मित्र होगा| इसलिए उसने उस बारे में अधिक नहीं सोचा| अगले दिन कबूतर खाना खोजने के लिए साथ चलने को कहता है तो कौवे पेट दर्द का बहाना बनाकर मना कर दिया|

इस पर कबूतर अकेला ही चला गया क्योंकि कौवे ने घर के मालिक को यह कहते हुए सुना था नौकर को कि, “आज कुछ मेहमान आ रहे हैं, इसलिए तुम मछली बना लेना”|

उधर कौवा नौकर की रसोई से बाहर निकलने का इंतजार ही कर रहा था, कि उसके जाते ही कौवे ने थाली को झपटा और मछली उठा कर आराम से खाने लगा| नौकर जब वापस आया तो कौवे को मछली खाते देख गुस्से से भर गया और उसने कौवे को पकड़कर गर्दन मरोड़ कर मार डाला|

जब शाम में कबूतर वापस आया तो उसने कौवे की हालत देखी तो सारी बात समझ आ गया|

नैतिक शिक्षा : दुष्ट प्रकृति के प्राणी को उसके किए की सजा अवश्य मिलती है|

दोस्त की मदद – Hindi Stories with Moral for Class 2 Video

चींटी और कबूतर – Best Hindi Stories with Moral for Class 2

चींटी और कबूतर - Best Hindi Stories with Moral for Class 2

गर्मियों का दिन था, एक चींटी पानी की तलाश में भटक रही थी। कुछ देर भटकने के बाद वह एक झरने के पास आई। झरने तक पहुँचने के लिए, उसे घास चढ़ना था। घास पर चढ़ते समय वह फिसल कर पानी में गिर गई।

अगर पास के पेड़ पर चढ़े कबूतर ने उसे नहीं देखा होता, तो वह डूब सकती थी। चींटी को डूबते देखकर कबूतर ने झट से एक पत्ता तोड़ लिया और चींटी के पास पानी में गिरा दिया। चींटी पत्ती की ओर बढ़ी और उस पर चढ़ गई। जल्द ही, पत्ती सूखी जमीन पर चली गई, और चींटी बाहर कूद गई। वह अंत में सुरक्षित थी।

ठीक उसी समय, पास में एक शिकारी कबूतर को फँसाने के लिए अपना जाल फेंकने ही वाला था।

यह सोचकर कि वह क्या करने वाला है, चींटी ने जल्दी से उसकी एड़ी पर काट लिया। दर्द के कारण शिकारी ने अपना जाल गिरा दिया। कबूतर जल्दी से सुरक्षित निकल भागा।

नैतिक शिक्षा : कर भला तो हो भला| हम जब भी दूसरों का भला करते हैं, तो उसका फल हमें जरुर मिलता है|

सेब का पेड़ और किसान – Hindi Stories with Moral for Class 2nd

सेब का पेड़ और किसान - Hindi Stories with Moral for Class 2nd

एक बार की बात है, एक जंगल के किनारे एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक बड़ा सा बगीचा था, जिसमें एक पुराना सेब का पेड़ और अन्य पेड़, पौधे और सुंदर फूल थे। जब किसान छोटा लड़का था, वह अपना अधिकांश समय सेब के पेड़ के साथ खेलने में व्यतीत करता था। उन दिनों, सेब के पेड़ में अच्छे सेब लगते थे। हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, सेब का पेड़ बूढ़ा हो गया और फल लगना बंद हो गया।

अब जबकि किसान को पेड़ से सेब नहीं मिल रहा था| इसलिए उसने पेड़ को काटने और उसकी लकड़ी का उपयोग कुछ नए फर्नीचर बनाने के लिए करने का फैसला किया। उसने यह महसूस किया कि पेड़ काफी पुराना और विशाल हो चुका है, इसलिए उसे ठीक करने की आवश्यकता नहीं है और इससे बहुत अच्छा फर्नीचर भी बन सकता है। वह यह भूल गया कि बचपन में उसने अपना पूरा बचपन पेड़ पर चढ़ने और उसके सेब खाने में बिताया था।

अब सेब का पेड़ पड़ोस में कई छोटे जानवरों का घर था। इसमें गिलहरी, गौरैया और पक्षियों और कीड़ों की एक विशाल विविधता शामिल थी। किसान ने जब अपनी कुल्हाड़ी ली और पेड़ काटने लगा तो सभी छोटे जानवर दौड़ते हुए नीचे आ गए।

वे सभी किसान से गुहार लगाने लगे। वे किसान के पास जमा हो गए और बोले, “कृपया पेड़ को मत काटो। जब तुम छोटे थे, इसी पेड़ के नीचे, हम तुम्हारे साथ खेलते थे। यह हमारा घर है और हमारे पास जाने के लिए और कोई जगह नहीं है।”

किसान डटा था। उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और हंगामा बढ़ता गया।

“कृपया मेरे घर और बच्चों को नष्ट मत करो,” गिलहरी रोई।

“कृपया मेरे घोंसले को नष्ट मत करो,” छोटे पक्षी रोए।

“कृपया सेब के पेड़ को मत काटो,” टिड्डा रोया।

किसान, हालांकि, अपने बचपन और अपने पशु मित्रों को भूल गया। वह जोर से पेड़ को काटने लगा। सभी छोटे जानवर हताश हो गए, और किसी भी कीमत पर सेब के पेड़ की रक्षा करना चाहते थे।

छोटे जानवरों ने कहा, “जब आप खेतों में मेहनत कर रहे होंगे तो हम आपके लिए गाएंगे। हम आपके छोटे लड़के की देखभाल करेंगे। वह रोएगा नहीं, बल्कि मनोरंजन और खुश होगा। आप हमारे गीतों को पसंद करेंगे और थका हुआ महसूस नहीं करेंगे।”

हालाँकि, इससे किसान पर कुछ असर ना पड़ा। उनके सभी अनुरोधों के बावजूद, किसान पेड़ को काटता रहा।

अचानक, उसने कुछ चमकदार देखा। निरीक्षण करने पर, उसने देखा कि यह एक मधुमक्खी का छत्ता है, जो शहद से भरा हुआ है। उसने थोड़ा सा लिया और अपने मुंह में डाल लिया। शहद के स्वाद ने उसमें छोटे लड़के को जगा दिया। अचानक, उसकी बचपन की यादें लौट आईं। शहद का स्वाद इतना अच्छा था कि वह खुश हो गया। वह मुस्कुराया और कहा, “यह अद्भुत स्वाद है।”

किसान के रवैये में बदलाव को देखते हुए, छोटे जानवर एक स्वर में बोले: मधुमक्खी ने कहा, “मैं तुम्हें हमेशा मीठा शहद दूंगी।” गिलहरी ने कहा, “जितनी चाहें उतनी मात्रा में मेवा बाँट दूँगी।” चिड़ियाँ चिल्लाईं, “हम उतना गीत गाएंगे, जितना तुम चाहोगे।”

अंत में, किसान को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने अपनी कुल्हाड़ी नीचे रख दी। वह समझ गया था कि पेड़ कई प्यारे जानवरों का घर है जो उसे बहुत सारी चीज़ें प्रदान करते हैं। वह चाहता था कि उसके छोटे लड़के का वह बचपन हो, जो उसका था।

उसमें मौजूद छोटे लड़के ने सेब के पेड़ को बचा लिया।

उसने कुल्हाड़ी फेंक दी और छोटे जीवों से कहा, “मैं वादा करता हूं कि मैं इस पेड़ को कभी नहीं काटूंगा। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है और आप सभी अब शांति और सद्भाव से रह सकते हैं।”

नन्हे जीवों ने मधुमक्खी का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। यदि किसान को छत्ता न मिला होता, तो वे अब तक बेघर हो चुके होते। वे पुराने सेब के पेड़ में खुशी-खुशी रहने लगे।

नैतिक शिक्षा : प्रकृति में प्रत्येक जीवित वस्तु किसी न किसी काम की है: हमें किसी भी जीवित वस्तु को नष्ट नहीं करना चाहिए।

लोमड़ी और अंगूर – Short Hindi Stories with Moral for Class 2

लोमड़ी और अंगूर - Short Hindi Stories with Moral for Class 2

एक दोपहर, एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी| उसने देखा, अंगूर का एक गुच्छा एक ऊँची शाखा से लटका हुआ है। “बस मेरी प्यास बुझाने की बात है,” लोमड़ी ने कहा।

लोमड़ी कुछ कदम पीछे हटी और कूद गई| लेकिन लटके हुए अंगूरों से चूक गई। फिर से, लोमड़ी कुछ कदम पीछे हटी और उन तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन फिर असफल रही।

अंत में, हार मान लेते हुए, लोमड़ी ने अपनी नाक घुमाई और कहा, “वे अंगूर वैसे भी खट्टे हैं।” फिर वह चली गई।

नैतिक शिक्षा : जो आपके पास नहीं है, उसका तिरस्कार करना आसान है।

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भालू ने खेली फुटबॉल – Short Hindi Stories with Moral for Class 2 Video

दूध दहनेवाली औरत और उसकी बाल्टी – Hindi Story for Cass 2 Pdf

पैटी दूध दहनेवाली औरत अपने सिर पर बाल्टी में दूध लेकर बाजार जा रही थी।

जैसे-जैसे वह आगे बढ़ी, उसने हिसाब लगाना शुरू कर दिया कि दूध के लिए उसे जो पैसे मिलेंगे, उसका वह क्या करेगी।

“मैं किसान ब्राउन से कुछ मुर्गी खरीदूंगी,” उसने कहा, “और वे हर सुबह अंडे देंगे, जिसे मैं पार्सन की पत्नी को बेच दूंगी।”

“इन अंडों की बिक्री से मुझे जो पैसे मिलेंगे, उससे मैं अपने लिए एक नया फ्रॉक और टोपी खरीदूंगी, और जब मैं बाजार जाऊंगी, तो सभी युवक आकर मुझसे बात करेंगे!”

“पोली शॉ को बहुत जलन होगी, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बस उसे देखूंगी और इस तरह अपना सिर उछालूंगी।”

यह कहते हुए, उसने अपना सिर पीछे की ओर उछाला और बाल्टी उसके सिर से गिर गई, और सारा दूध बह गया!

नैतिक शिक्षा : अपने मुर्गियों के फूटने से पहले उनकी गिनती न करें।

भूखी लोमड़ी – Short Hindi Story with Moral for Class 2

भूखी लोमड़ी - Short Hindi Story with Moral for Class 2

एक बार की बात है, एक भूखी लोमड़ी थी, जो खाने के लिए कुछ ढूंढ रही थी। उसे बहुत भूख लगी थी। उसने कितनी भी कोशिश की, पर उसको खाना नहीं मिला। अंत में वह जंगल के किनारे पर गई और वहां भोजन की तलाश करने लगी। अचानक उसकी नज़र एक बड़े पेड़ पर पड़ी, जिसमें छेद था।

छेद के अंदर एक पैकेट था। भूखी लोमड़ी ने तुरंत सोचा कि इसमें भोजन हो सकता है, और वह बहुत खुश हुई। वह उस छेद में कूद गई। जब उसने पैकेट खोला तो उसमें रोटी, मांस और फल के टुकड़े देखे!

जंगल में पेड़ों को काटने से पहले एक बूढ़े लकड़हारे ने भोजन को पेड़ के तने में रख दिया था। वह दोपहर के भोजन के लिए इसे खाने वाला था।

लोमड़ी खुशी-खुशी खाने लगी। खाना समाप्त करने के बाद, उसे प्यास लगी और उसने गड्ढा छोड़ने और पास के एक झरने से कुछ पानी पीने का फैसला किया। हालांकि, उसने कितनी भी कोशिश की, वह छेद से बाहर नहीं निकल सकी। तुम जानते हो क्यों? हाँ, लोमड़ी ने इतना अधिक खाना खा लिया था कि वह मोटी हो गई थी और छेद में फिट नहीं हो सकती थी!

लोमड़ी बहुत दुखी और परेशान थी। उसने खुद से कहा, “काश मैंने छेद में कूदने से पहले थोड़ा सोचा होता।”

नैतिक शिक्षा : हमें कोई भी काम सोच समझ कर करना चाहिए|

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तो दोस्तों, यह थी top 10+ Hindi Stories with Moral for Class 2. ये सभी कहानियाँ नैतिक है। और इन कहानियों से बच्चों को बहुत मदद मिलेगी।

आपको ये ‘Best Hindi Stories with Moral for Class 2‘ कैसी लगी? हम आशा करते हैं, कि आपको Best Hindi Stories with Moral for Class 2 पढ़कर जरूर अच्छी लगी होगी| कृपया करके इन कहानियाँ को आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें।

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